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लोड बेयरिंग और फ्रेंम स्ट्रक्चर के बीच क्या अंतर है |

Difference between load bearing structure and frame structure | लोड बेयरिंग और फ्रेंम स्ट्रक्चर के बीच क्या अंतर है?

लोड बेयरिंग और फ्रेंम स्ट्रक्चर के बीच क्या अंतर है?


जब हम घर बनाते हैं तो हम घर बनाने के लिए आर्किटेक्ट/ इंजीनियर  की सलाह लेते हैं सलाह के तौर पर आर्किटेक्ट/ इंजीनियर के द्वारा आपको फ्रेम स्ट्रक्चर के अनुसार घर बनाने की सलाह मिलेगी।

जानकारी के लिए बताना चाहूंगा कि किसी भी भवन को निर्मित करने के दो प्रकार होते हैं प्रथम लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर और द्वितीय फ्रेम स्ट्रक्चर 

लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर का प्रचलन कुछ समय पहले अधिक था लेकिन आज के दौर में फ्रेम स्ट्रक्चर के तुलनात्मक लाभों के कारण लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर अप्रचलित हो गई है। लेकिन भारतीय ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर उपयोग हो रहा है।

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लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर के अंतर्गत भवन के स्ट्रक्चर व ढांचे को ईटों की चिनाई के द्वारा बनाया जाता है। भवन में प्रत्येक भाग को ईंटों के द्वारा रूप देना होता है। 

भवन के वजन/ भार को ईटों की दीवारों के द्वारा वहन किया जाता है जिसको भवन की "ईटों की नींव" के माध्यम से जमीन पर स्थानांतरित कर दिया जाता है।


What is frame structure in Hindi | फ्रेम स्ट्रक्चर क्या है?

फ्रेम स्ट्रक्चर के अंतर्गत भवन के भार को बीम, कॉलम और नीव के द्वारा लिया जाता है। भवन के भाग बीम, कॉलम, नींव सभी के सभी एक दूसरे से आरसीसी (RCC) रिइंफोर्समेंट के द्वारा जुड़े होते है। भवन पर लगने आने वाले वजन बाहर को कोलंबो के द्वारा भवन की नींव में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

Difference between load bearing structure and frame structure | लोड बेयरिंग और फ्रेंम स्ट्रक्चर के बीच क्या अंतर है?



लोड बेयरिंग और फ्रेम स्ट्रक्चर के बीच अंतर निम्नानुसार है।

  • लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर मैं दीवारों का उपयोग भार को झेलने के लिए किया जाता है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में दीवारों का उपयोग विभाजन और भवन को पूरा करने के लिए किया जाता है।


  • लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में भवन की नींव की खुदाई को प्लानिंग के अनुसार की जाती है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में सीधे कॉलम के नीचे नींव की खुदाई होती है।


  • लोड बेयरिंग, को प्लिंथ बीम के नीचे भी बनाया जाता है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में प्लिंथ बीम के नीचे नहीं बनाया जाता है।


  • लोड बेयरिंग दीवारों की न्यूनतम मोटाई 200 mm होनी ही चाहिए जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर के अंतर्गत बाहरी दीवारों को 200 mm और अंदर की दीवारों को 100 mm मोटाई हो सकती है या किसी भी प्रकार की पार्टीशन का उपयोग हो सकता है।


  • लोड बेयरिंग दीवारें आमतौर पर ईंट और पत्थरों से बनी होती है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में कॉलम सपोर्टिंग बीम को पूरी तरह आरसीसी (R CC) में बनाया जाता है।


  • लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में बहुमंजिला इमारत की प्रत्येक दीवार के लिए नीचे की दीवार मंजिलों की दीवारों में समानता और निरंतरता होनी चाहिए। जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है प्रत्येक मंजिल के नीचे की दीवार को स्वतंत्र रूप से बनायी जा सकती है।


  • लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में निर्मित भवन के पूर्ण होने के उपरांत दीवारों को तोड़ा नहीं जा सकता है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में आप अपनी आवश्यकतानुसार व्यवस्थित कर सकते हैं।


  • लोड बेयरिंग दीवारों में आप खिड़की दरवाजों के लिए अधिक स्थान नहीं छोड़ सकते जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में आपको काॅलमो के बीच के भाग को पूर्ण रूप से खुला छोड़ सकते हैं।

लोड बेयरिंग और फ्रेम स्ट्रक्चर से संबंधित प्रश्न

प्रश्न- लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर को फ्रेम स्ट्रक्चर में क्या अंतर है?

लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर और फ्रेम स्ट्रक्चर के बीच प्रमुख अंतर यह है कि लोड बेयरिंग में प्रत्येक भाग भार वहन करता है और नींव के नीचे की मिट्टी में स्थानांतरित करते हैं। लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में चिनाई की दीवारें सभी स्ट्रक्चरल भार को ग्रहण करती है और मिट्टी में स्थानांतरित हो जाती है जबकि फ्रेम स्ट्रक्चर में कॉलम, बीम, फूटिंग व्यवस्था में भार को उठाया वह नींव के नीचे की मिट्टी में स्थानांतरित कर दिया जाता है।

प्रश्न - लोड बेयरिंग दीवारों की न्यूनतम मोटाई कितनी होनी चाहिए?

लोड बेयरिंग स्ट्रक्चर में दीवारों की न्यूनतम मोटाई कम से कम 200 mm होनी चाहिए।

प्रश्न - क्या ईटों की दीवार लोड वजन बाहर को झेल सकती है?

हां, ईंटों की दीवार भार/ वजन झेलने वाली संरचना है क्योंकि यह ठोस होती हैं और संरचनात्मक भार वहन करने में सक्षम है।


Difference between load bearing structure and frame structure

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