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Types of soil in Hindi | मिट्टी के प्रकार और विशेषताएं

Various type of soil in India | Types of soil in Hindi | भिन्न प्रकार की मिट्टी के उनका इस्तेमाल 

Various type of soil in India

भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां की मिट्टी भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। धरती की ऊपरी सतह पर मोटे, मध्यम और बारीक कार्बनिक और अकार्बनिक मिश्रित कणों को ही मृदा (मिट्टी) कहते हैं। अर्थात पृथ्वी की ऊपरी सतह के कणों को ही Soil कहा जाता है मृदा को मिट्टी कहा जाता है। I.C.M.R. (Indian Council of Medical Research) के अनुसार भारत में आठ प्रकार की मिट्टियां पाई जाती हैं जो निम्नलिखित हैं।


  1. जलोढ़ मिट्टी 
  2. काली मिट्टी या रेगुल 
  3. लाल मिट्टी 
  4. लैटेराइट मिट्टी 
  5. रेगिस्तानी मिट्टी 
  6. पर्वतीय मिट्टी 
  7. लवणीय ओर क्षारीय मिट्टी 
  8. पीटी और मार्सी मिट्टी 


जलोढ़ मिट्टी | Alluvial soil

जलोढ़ मिट्टी से हमारे देश का लगभग 43.4 % भाग ढका हुआ है। जिसे दोमट मिट्टी भी कहा जाता है जलोढ़ मिट्टी दो प्रकार में वर्गीकृत होती है अर्थात नई जलोढ़ मिट्टी खादर और पुरानी जलोढ़ मिट्टी बांगर 

Alluvial soil

पुरानी जलोढ़ मिट्टी नदी से दूर और उचित स्थानों में पाई जाती है यह मिट्टी चिकनी और चिपचिपी होती है जबकि जलोढ़ मिट्टी नदी के किनारे और नदी के आसपास के मैदानों में पाई जाती है यह पुरानी मिट्टी की तुलना में अधिक उपजाऊ होती है उत्तर गुजरात, गंगा के मैदानी क्षेत्र नर्मदा और ताप्ती के कुछ स्थानों में यह मिट्टी अधिक पाई जाती है यह फसलों जैसे गेहूं , मक्का , धान आदि के लिए बेहतरीन मिट्टी है।


लाल मिट्टी | Red Soil

लाल मिट्टी कम वर्षा के कारण ग्रेनाइट और गेनेसेस चट्टानों के टूटने पर बनती है।अर्थात रूपांतरित चट्टानों के अपक्षय के कारण विकसित होती है।

Red Soil

लाल मिट्टी भारत के कुछ हिस्सों जैसे उड़ीसा , तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश,  छत्तीसगढ़, कर्नाटक, महाराष्ट्र आदि में अधिक पाई जाती है इस मिट्टी के आयरन ऑक्साइड के उच्च सम्मिश्रण होने के कारण यह रंग में लाल होती है हमारे देश में लगभग 18 पॉइंट 18.60 % भाग में यह मिट्टी पाई जाती है। यह मिट्टी कपास, दालें, चावल वाला गेहूं आदि के लिए अच्छी मानी जाती है।


काली मिट्टी | Kali mitti | black soil 

काली मिट्टी | Kali mitti | black soil

काली मिट्टी जिसे रेगुलर मिट्टी भी कहा जाता है यह मिट्टी महाराष्ट्र,  गुजरात,  मध्यप्रदेश और मुख्य रूप से मालवा के लावा पठारो पर बड़े पैमाने में विकसित हुई है। यह ज्वालामुखी के लावे से बनती है रेगुल मिट्टी में लोहा, पोटेशियम, मैग्नीशियम आदि तत्व पाए जाते हैं। यह मिट्टी महाराष्ट्र में सर्वाधिक पाई जाती है।


लेटराइट मिट्टी | Laterite Soil 

लेटराइट मिट्टी, चट्टानों के टूटने और अन्य रासायनिक क्रियाओं के कारण बनती है इन मिट्टी को हल्की मिट्टी भी कहा जाता है।

लेटराइट मिट्टी | Laterite Soil

भारतीय राज्यों जैसे तमिलनाडु, असम,  उड़ीसा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि में लेटराइट मिट्टी देखने को मिलती है।

यह मिट्टी देखने में लाल रंग के जैसी होती है लेकिन यह लाल मिट्टी से कम उपजाऊ होती है। इसे चाय, कॉफी, नारियल आदि की खेती के लिए उत्तम मिट्टी माना जाता है।


रेगिस्तानी मिट्टी 

रेगिस्तानी मिट्टी

रेगिस्तानी मिटटी में फास्फोरस की मात्रा अधिक होती है लेकिन जीवांश और नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है। यह रेतीली होती है। इस मिट्टी में होने वाली फसलें मूंगफली और बाजरा इत्यादि है।


पर्वतीय मिट्टी

पहाड़ पर अधिक ऊंचाई पर पाई जाने वाली मिट्टी पर्वतीय मिट्टी कहलाती है इस प्रकार की मिट्टी की विशेषताएं ऊंचाई के अनुसार से बदल जाती है।

पर्वतीय मिट्टी

पर्वतीय मिट्टी में होने वाली फसलें आलू, फल, चाय, कॉफी, मसाले और गेहूं इत्यादि है।


लवणीय और क्षारीय मिट्टी | Alkaline Soil

इस प्रकार की मिट्टी पश्चिमी गुजरात, पूर्वी तट के डेल्टा, पश्चिम बंगाल के सुंदर वन क्षेत्र, पंजाब और हरियाणा में पाई जाती है। 

लवणीय और क्षारीय मिट्टी | Alkaline Soil

यह ऐसे क्षेत्रों में पाई जाती है जहां बहुत कम वर्षा होती है। 

इस मिट्टी में सोडियम और मैग्नीशियम आदि की मात्रा अधिक पाई जाती है जबकि नाइट्रोजन और कैल्शियम की कमी होती है।


पीटी और मार्शी मिट्टी

पीटी और मार्सी मिट्टी में अधिक मात्रा में कार्बनिक पदार्थों के संचय के परिणाम स्वरूप आर्द्र क्षेत्रों में उत्पन्न होती है।

इस प्रकार की मिट्टी में 10-40% कार्बनिक पदार्थ और घुलनशील लवण होते हैं।

इस प्रकार की मिट्टी केरल के कोट्टायम और अलाप्पुझा जिलों में पाई जाती है जहां इसे कारी कहा जाता है।


मिट्टी के उपयोग और विशेषताएं 

  • मिट्टी का उपयोग, मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बेहद उपयोगी है साथ ही पुराने समय में बनने वाले भवनों में भी मिट्टी का उपयोग किया जाता था। मिट्टी से बने मकान में रहने से गर्मियों में राहत मिलती थी।


  • मिट्टी का उपयोग त्वचा संबंधी विकारों जैसे फोड़े, फुंसी, जलन आदि से राहत पाने के लिए किया जाता था। इस प्रकार के विकारों में काली मिट्टी का उपयोग किया जाता था।


  • पुराने समय में गांव के घरों में कच्ची मिट्टी के साथ गाय के गोबर मिलाकर घरों पर लेप किया जाता था। जिससे घर की सुंदरता बढ़ती थी।


  • मुल्तानी मिट्टी का उपयोग शारीरिक सौंदर्य के लिए उपयोग किया जाता है।




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