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भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली पर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का रास्ता साफ हो गया है

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कुशीनगर भगवान गौतम बुद्ध  की तीर्थस्थल है जहाँ  पर भगवान बुद्ध  महापरिनिर्वाण हुआ था।
भगवान गौतम बुद्ध ने 80 की उम्र में 483 ईसा पूर्व में चुन्द नामक कर्मकार के हाथों शूकर खाने  के उपरान्त 
कुशीनगर ( कुशीनारा ) में स्वर्गवासी हुए । इस घटना को महापरिनिर्वाण कहा गया है ।
 
कुशीनगर, राष्ट्रीय राजमार्ग 28 पर स्थित है। कुशीनगर से गोरखपुर की दूरी 50 km है । यहाँ कई देशोंं के अनेक सुन्दर बौद्ध मन्दिर हैं। इस कारण से यह एक अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी है। अन्तरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल होने के साथ यहाँ पर अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट  की मांग लगातार हो रही थी ।

पर्यटकों की सुविधा के लिए अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनाने का रास्ता साफ हो गया है ।

24 जून 2020 को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस एयरपोर्ट से जल्दी उड़ान शुरू होने व क्षेत्र में पर्यटक विकास की नई संभावनाओं को बल मिला है।  केंद्रीय मंत्रीमंडल की मंजूरी के बाद बुधवार की शाम को एयरपोर्ट पर सांसद व डीएम समेत अन्य अफसरों ने पहुंचकर इस एयरपोर्ट की भौतिक स्थिति की जानकारी ली ।

वर्ष 1948 में कसया में ऐरा ड्रम (हवाई पट्टी) का निर्माण कराया गया था । हालांकि यहां से कोई उड़ान सेवा शुरू नहीं होने के कारण करीब चार दशक तक हवाई पट्टी बेकार पड़ी रही और उसकी अधिकांश जमीनों पर लोगों ने कब्जा कर लिया ।

वर्ष 1995 में केंद्रीय उड्डयन मंत्रालय ने इस हवाई पट्टी की सुधि ली और बाउंड्रीवाल कराने समेत यहां एटीसी ( एयर ट्रैफि कंट्रोल ) बिल्डिंग व एक गेस्ट हाऊस का निर्माण कराया । परंतु हवाई सेवा शुरू नहीं होने के चलते जल्दी ही एयरपोर्ट फिर पुरानी स्थिति में आ गया ।

वर्ष 2008 में कुशीनगर आईं बसपा सुप्रीमो व तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने पर्यटन सुविधा को ध्यान में रखते हुए कुशीनगर विकास प्राधिकरण के गठन तथा हवाई पट्टी को कुशीनगर अंतरारष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाने की घोषणा कीं । इसके बाद जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण करने में ही चार साल लग गए

वर्ष 2012 में एयरपोर्ट का निर्माण कार्य शुरू होने के साथ ही एक बार फिर इस पर ग्रहण लगा और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने खर्च के अनुरूप यात्रियों की संख्या नहीं आने का हवाला देते हुए निर्माण कार्य से हाथ पीछे खींच लिया ।

इसके बाद प्रदेश सरकार ने पहल की और वर्ष 2016 में हवाई अड्डे को पुनः अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप ही पीपीपी मॉडल पर विकसित किया जाने लगा । 584.35 एकड़ जमीन पर बन रहे इस एयरपोर्ट का रनवे, फायर बिल्डिंग व बाउंड्रीवाल का काम पूरा हो चुका है । इसके अलावा नई एटीसी बिल्डिंग का निर्माण कार्य चल रहा है ।
सड़क चौड़ीकरण के लिए भी 21 करोड़ रुपये अवमुक्त हो चुके हैं ।

* पिछले वर्ष गोरखपुर में मुख्यमंत्री की तरफ से नया एयरपोर्ट बनाने की घोषणा के साथ ही कुशीनगर एयरपोर्ट के भविष्य पर फिर सवाल उठने लगे
* आरोप लग रहा था कि गोरखपुर में एयरपोर्ट बन जाने के बाद कुशीनगर एयरपोर्ट का औचित्य ही समाप्त हो जाएगा
* इसके बाद सांसद विजय कुमार दुबे ने मुख्यमंत्री से मिलकर इसके लिए पहल की तो मुख्यमंत्री के प्रयास से निर्माण कार्य में तेजी आई
* पिछले दिनों सड़क चौड़ीकरण के साथ ही निर्माणाधीन एयरपोर्ट परिसर में स्थित शिवमंदिर व स्कूल को भी हटाने का रास्ता साफ हो गया
* डीएम भूपेंद्र एस चौधरी ने बताया कि कुशीनगर एयरपोर्ट को अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के मानक के अनुरूप ही विकसित किया जा रहा है काफी काम हो चुका है
* सरकार की मंशा है कि यहां से जल्दी से जल्दी उड़ान शुरू कराई जाए इसके लिए भी तैयारी की जा रही है
* कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की मंजूरी को ऐतिहासिक फैसला बताते हुए सांसद विजय दुबे ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से कुशीनगर न केवल आर्थिक, सामरिक व व्यापारिक दृष्टि से पूरी दुनिया में जाना जाएगा बल्कि पर्यटन व कार्गो का हब भी बनेगा
* बता दें कि थाईलैंड, जापान, चीन, कोरिया आदि देशों सहित दुनिया भर के 53 करोड़ बौद्ध मतावलंबियों के लिए यह आस्था का केंद्र है, क्योंकि भगवान बुद्ध का यहीं महापरिनिर्वाण हुआ था और उन्होंने अंतिम उपदेश भी यहीं दिया था
* हवाई सेवा से जुडऩे के कारण पूरे बौद्ध परिपथ को काफी मजबूती मिलेगी क्योंकि कुशीनगर इसके केंद्र में है
* बुद्ध से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण स्थलों लुंबिनी (195 किमी), श्रावस्ती (238 किमी), कपिलवस्तु (190 किमी), बोधगया, संकिशा आदि की दूरी घट जाएगी
* वर्तमान में प्रतिदिन कुशीनगर आने वाले बौद्ध पर्यटकों की संख्या 300 से 400 है हवाई सेवा से यह संख्या 20 गुना तक बढऩे की उम्मीद है
* बौद्ध परिपथ के अन्य स्थलों पर भी विदेशी सैलानियों की संख्या बढ़ जाएगी
कुशीनगर में घूमने की जगह
> महापरिनिर्वाण मंदिर
> रामाभर स्तूप
> निर्वाण चैत्य
> माथाकौर मंदिर
> सूर्य मंदिर
> चाइनीज मंदिर




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