Bhojpur temple | indian temples | भोजपुर मंदिर
राजा भोज के निधन के कारण मंदिर का निर्माण अपूर्ण रह गया था, जिसे अब करीब 1000 साल बाद केंद्र सरकार पूर्ण कराने जा रही है।वह भी राजा भोज द्वारा तैयार कराए गए मूल नक्शे की परिकल्पना के अनुरूप ,
जी हां , हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के विदिशा में स्थित भोजपुर मंदिर जिसे उत्तर भारत का सोमनाथ कहा जाता है । मंदिर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर भोजपुर गांव में स्थित हैं।
मंदिर बेतवा नदी के तट पर तथा विंध्य पर्वत की छोटी श्रेणी पर स्थित है।मंदिर का निर्माण परमार राजा भोज ने (1010-1053) में कराया था ,जिस कारण मंदिर और गांव का नाम राजा भोज के नाम पर पड़ गया और मंदिर भोजपुर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।
इतिहासकारों का कहना है कि गुजरात में लुटेरे महमूद गजनवी ने सोमनाथ मन्दिर में लूट पाट और मंदिर को नस्ट करने की जानकारी को राजा भोज तक पहुंचने में अधिक समय लग गया ।घटना से शुब्ध होकर राजा भोज ने 1026 ईसवी में गजनवी पर आक्रमण कर दिया ।आक्रमण इतना भयंकर था कि लुटेरा गजनवी सिंध के रेगिस्तान में भाग खड़ा हुआ ।किन्तु भोज का मुकाबला गजनवी के पुत्र सलार मसूद के साथ हुआ जिसमें सलार मसूद की मृत्यु हो गई।
मंदिर का निर्माण लुटेरे गजनवी से सोमनाथ मंदिर का प्रतिशोध लेने के उपरांत विजय उपलक्ष्य के रूप में कराया गया था।
विद्वानों का कहना है कि राजा भोज के निधन के कारण मंदिर निर्माण को विराम देना पड़ा तब से मंदिर के शिखर और कुछ हिस्सा अपूर्ण रह गया था।भविष्य में मंदिर को वृहत् बनाने संबंधी योजना को पाषाण शिलाओं पर उकेरा गया है।जिसमें अधूरा कार्य ,ढेरो अन्य मंदिरों और मंदिर को वृहत बनाने की योजना उल्लेखित है।
भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा चिन्हित मंदिर परिसर का पुनरुद्धार का कार्य अब करीब 1000 वर्ष बाद केंद्र की मोदी सरकार पूर्ण कराने जा रही है जिसकी परकल्पना राजा भोज द्वारा तैयार कराए नक्शे के अनुरूप बनाया जाएगा।
मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में किया जा रहा है।जो मंदिर को वृहत रूप देने की तयारी में जुट गया है।
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राजा भोज की परिकल्पना के अनुरूपित यह मंदिर वास्तुकला का उत्कृष्ट व अनुपम उदाहरण हैं।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के शिलालेखो के अनुसार भोजपुर मंदिर का शिवलिंग भारत में स्थित अन्य मंदिरों में सबसे ऊंचा एवं विशालतम शिवलिंग है।शिवलिंग की उंचाई 21.5 फीट और परिधी 17.8 फीट है। शिवलिंग को चुने के पाषाण खंडों से निर्मित वर्गाकार और विस्तृत फलक वाले त्रिस्तरीय चबूतरे पर स्थापित है।
मंदिर इतना विशाल है कि पूजारी को शिवलिंग तक पहुचनें के लिए सिढी लगानी पड़ती है। इंटरलॉकिंग पद्वति से मंदिर के विशालकार पत्थरों को जोड़ा गया है।मंदिर का प्रवेश द्वार भी अपने में एक अलग पहचान रखता है। जिसकी ऊंचाई लगभग 66 फीट है।
विशाल वर्गाकार प्लेटफार्म पर यह मंदिर चार विशाल स्तंभों के सहारे खड़ा है।मंदिर को अनेक प्रकार की चित्रकारी जैसे मूर्तियों को दीवारों पर उकेरी तथा विलक्षण चित्रकारी की गई है।
पुरावशेषों से ज्ञात होता है कि मंदिर के शिखर को बनाने में अनेक प्रयत्न किया गया किन्तु शिखर पूर्ण नहीं हो सका,
अध्ययनकर्ताओं का मानना है कि यदि शिखर को पूरी तरह निर्मित होता तो भवन से वजनी होने के कारण समस्या का कारण बन रहा है सभी पहलुओं पर अध्यन किया जा रहा है।

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