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Somnath Jyotirlinga | सोमनाथ मंदिर

Somnath Jyotirlinga सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर भारत के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर है I जिसकी गिनती द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सबसे पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में होती है I


सोमनाथ मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल शहर में समुंद्र के किनारे स्थित है

नागर शैली क्या है

नागर शैली उत्तर भारतीय हिन्दू स्थापत्य कला की तीन में से एक शैली है। नागर शैली का क्षेत्र उत्तर भारत में नर्मदा नदी के उत्तरी क्षेत्र तक है। परंतु यह कहीं-कहीं अपनी सीमाओं से आगे भी विस्तारित हो गयी है। 

नागर शैली के मंदिर मुख्यतः मध्य भारत में पाए जाते है I जैसे 
कंदरिया महादेव मंदिर (खजुराहो) 
लिंगराज मंदिर - भुवनेश्वर (ओड़िसा ) 
जगन्नाथ मंदिर - पुरी (ओड़िसा )        
सोमनाथ मंदिर - सोमनाथ  (गुजरात)

सोमनाथ मंदिर तीन प्रमुख भागों- गर्भगृह, सभामंडप, और नृत्यमंडप में विभाजित है। इस मंदिर के शिखर की ऊंचाई 150 फीट है। शिखर पर अवस्थित कलश का वजन दस टन है। इसकी ध्वजा 27 फुट ऊंची है।

इतिहास में यह मंदिर कई बार बनवाया गया और उसे हर बार किसी मुस्लिम शासक ने तोड़ दिया था सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण स्वतंत्रता के बाद लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 1951 में करवाया और पहली दिसंबर 1995 को भारत के राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था.I

हिंदू ग्रंथों के अनुसार सोमनाथ मंदिर की स्थापना स्वयं सोमनाथ अर्थात चंद्रमा (चंद्र देव) ने करवाया था सोमनाथ का अर्थ होता है सोम (चंद्रमा) के नाथ (भगवान)

सोमनाथ मंदिर के बारे में एक बात यह भी कही जाती है कि यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने प्राण त्याग कर स्वर्ग के लिए प्रस्थान किया था I

सोमनाथ मंदिर किसने बनवाया

सोमनाथ मंदिर पहली बार किस समय में बनवाया गया इसका कोई ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है फिर भी यह जानकारी प्राप्त है कि 649 ईसवी में इसे वैल्लभी के मैत्रिक राजाओं ने दोबारा बनवाया था I

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सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण 

इस मंदिर को 725 ईसवी में सिंध के मुस्लिम सूबेदार अल जुनैद ने तोडवा दिया था 815 इसवी में प्रतिहार राजा नागभट्ट ने इस मंदिर को दोबारा बनवाया I

सोमनाथ मंदिर पर गजनवी के आक्रमण


1024 ईस्वी में महमूद गजनवी ने अपने 5000 साथियों के साथ इस मंदिर पर हमला कर दिया जिसमें उसने 25000 लोगों का कत्ल कर दिया और मंदिर की सारी धन दौलत लूट कर ले गया  इसके बाद भीमदेव ने पुनः इस मंदिर को दोबारा बनवाया और 1093 में सिद्धराज जयसिंह ने मंदिर की प्रतिष्ठा करवाई और 1168 ईस्वी में विजयेश्वर कुमार और सौराष्ट्र के राजा ने भी सोमनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण करवाया I

1297 में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नुसरत खां ने गुजरात पर हमला कर दिया I उसने सोमनाथ मंदिर को तोड़ा और साथ ही पवित्र शिवलिंग को भी खंडित कर दिया I 1395 में मुजफ्फर शाह ने और 1413 में अहमद शाह ने इस मंदिर को जमकर लूटा औरंगजेब ने मंदिर को 1665 और 1706 दो बार तोड़ दिया और हजारों लोगों को मारा I

आजादी के बाद 1950 में सरदार पटेल ने इस मंदिर का पुननिर्माण किया 1991 डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने ज्योतिर्लिंग की स्थापना की और 1962 में मंदिर पूरी तरह से तैयार हुआ  1995 राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया I

मंदिर के दक्षिण में एक स्तंभ है उसके ऊपर एक तीर रखकर संकेत दिया गया है कि सोमनाथ मंदिर और दक्षिण ध्रुव के बीच पृथ्वी का कोई भू भाग नहीं है चैत्र भाद्र कार्तिक माह में श्रद्धा का विशेष महत्व है यहां हर साल लगभग एक करोड़ लोग दर्शन करने को आते हैं सोमनाथ मंदिर की व्यवस्था और संचालन का कार्य सोमनाथ ट्रस्ट के अधीन है I

मंदिर के पास तीन नदियों हिरण, कपिला और सरस्वती का महासंगम है जिसे त्रिवेणी संगम कहते हैं मंदिर रोज़ सुबहे 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक खुली रहती है I इस दौरान 3 आरतियां होती है सुरक्षा कारणों से यहां गैर हिंदुओं को जाने के लिए विशेष अनुमति लेनी पड़ती है I




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