Sri Bhramaramba Mallikarjuna Swamy Ammavarula Devasthanam | श्री भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
श्री भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन मंदिर (श्री सैलम नाम से भी जाना जाता है) भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है Iमल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैI मल्लिका का अर्थ है माता पार्वती और अर्जुन का भगवान शंकर I यह सभी ज्योतिर्लिंगों में सबसे ज्यादा अद्वितीय इसलिए है क्योंकि यहां भगवान शिव और माता पार्वती, दोनों ही मौजूद हैं I
हिंदू मान्यता के अनुसार,इस स्वयंभू ज्योतिर्लिंग की मल्लिका फूलो से पूजा की जाती है और इसी कारण
इसे मल्लिकार्जुन कहा जाता है I अनेक धर्म ग्रंथों में इस स्थान की महिमा बताई गई है महाभारत के अनुसार श्री शैल पर्वत पर भगवान शिव का पूजन करने से अश्वमेघ यज्ञ करने का फल प्राप्त होता है कुछ ग्रन्थों में तो यहाँ तक लिखा है कि श्रीशैल के शिखर के दर्शन मात्र करने से दर्शको के सभी प्रकार के कष्ट दूर भाग जाते हैं
वास्तुकला और मूर्तिकला से समृद्ध यह मंदिर कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैलम नाम के पर्वत पर स्थित है। श्रीशैलम पर्वत करनूल जिले के नल्ला-मल्ला नामक घने जंगलों के बीच है। नल्ला मल्ला का अर्थ है सुंदर और ऊंचा। इस पर्वत की ऊंची चोटी पर भगवान शिव श्री मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के रुप में विराजमान है।मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है
मल्लिकार्जुन 52 शक्तिपीठों में से एक है यही पर माता सती के होठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था I यह एक मात्र मन्दिर है I जहां शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग एक साथ स्थित है। मंदिर में माता पार्वती को भ्रामम्बा के रूप पूजा जाता है।
मल्लिकार्जुन मंदिर विरुपक्ष मंदिर का एक छोटा संस्करण है मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण विक्रमादित्य द्वितीय की दूसरी रानी त्रिलोक्यमहादेवी ने 745 ई. में विक्रमादित्य द्वारा पल्लवों पर जीत के उपरांत बनवाया गया था। मल्लिकार्जुन मंदिर को विरुपाक्ष मंदिर के तुरंत बाद या करीब बनाया गया था I मल्लिकार्जुन मंदिर और विरुपक्ष मंदिर की संरचना एक जैसी है I
ऐसी है श्री शैलम मंदिर की संरचना
मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के अंदर भी कई मंदिर बने हुए हैं जिनमें मल्लिकार्जुन और भ्रमराम्बा सबसे प्रमुख मंदिर हैं। मुख मंडप से मंदिर के गर्भ तक जाने वाले पथ पर कई सूक्ष्म मुर्तिकला से कोरे हुए स्तंभ है I यहां सबसे उल्लेखनीय और देखने लायक विजयनगर काल के दौरान बनाया गया मुख मंडप है। मंदिर के केंद्र में कई मंडपम स्तंभ हैं और जिसमें नादिकेश्वरा की एक विशाल दर्शनीय मूर्ति भी है।मंदिर की दिवारें 600 फीट की ऊंचाई वाली 152 मीटर (49.9 फीट) और 8.5 मीटर (28 फीट) से बनी है। दीवारों पर कई अद्भुत मुर्तियां बनी हुई है, जो की लोगों की आकर्षण का केंद्र मानी जाती है।
श्रीमल्लिकार्जुन का पौराणिक महत्व
कहां जाता है कि जब शर्त के अनुसार भगवान कार्तिकेय विवाह के लिए जब पूरे पृथ्वी का चक्कर लगा कर आते हैं तो भगवान गणेश का विवाह पूर्ण देखकर नाराज़ हो जाते हैं और क्रोंच पर्वत पर चले जाते हैं जब कार्तिकेय को मनाने के लिए भगवान शिव और पार्वती क्रोंच पर्वत पर जाते हैं तो उनके आगमन की खबर के कारण कार्तिकेय 36 किलोमीटर दूर चले जाते हैं तब शिव कौंच पर्वत पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो जाते हैं और तभी से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुए I
मल्लिकार्जुन की दीवारों पर लिखी कहानी के अनुसार चंद्रवती नामक राजकुमारी थी जो जन्म से ही शाही ठाठ से रहती थी चंद्रवती ने सब कुछ त्याग कर अपना जीवन तपस्या में बिताने लगी वो कदाली जंग में ध्यान लगाएं हुए थी कि उन्हें कुछ महसूस हुआ I उन्होंने देखा कि एक कपिला गाय बेल वृक्ष के पास है और अपने दूध से वहां के एक स्थान को धुल रही है ऐसा हर दिन होता था एक दिन जाकर वहां खुदाई की तो वहां शिवलिंग प्राप्त हुई I चंद्रवती भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं Iऔर जब उनका अंत समय आ गया था तो वो हवा के साथ कैलाश उड़ गईं थी और उनहें मोक्ष मिल गया था I
शिवपुराण के अनुसार अमावस्या के दिन भगवान शिव स्वयं यहां आते हैं और पूर्णिमा को उमादेवी यहां पर आती है

सम्बंधित विषय
- श्री भ्रमराम्बा मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
- भारत में मूर्तिकला और वास्तुकला का आरंभ कब से माना जाता है ?
- भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली ,कुशीनगर
- सोमनाथ मंदिर ज्योतिर्लिंग
- नालंदा विश्वविद्यालय स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना
- मात्र 60 घंटे में मंदिर को मस्जिद में तब्दील कर दिया गया ,आखिर क्यों ,जानिए पूरी कहानी
- मामल्लपुरम शहर और मन्दिर
- मामल्लपुरम के मूर्तिकार
- केदारनाथ मंदिर वास्तुकला, इतिहास
- भोजपुर मंदिर
- चोल शैली
- श्री कम्पहरेश्वर मंदिर
आशा करता हूँ यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आया होगा। यदि इसमें कोई त्रुटि रह गयी हो तो उसके लिए मुझे क्षमा करते हुए उस त्रुटि की ओर मेरा ध्यान केंद्रित करवाएं ताकि हम उसमे सुधार कर सकें।आप मेरे फेसबुक पेज Architecture+history को फोलो कर सकते हैं।
धन्यवाद।
0 टिप्पणियाँ