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मामल्लपुरम के मूर्तिकार

मामल्लपुरम के मूर्तिकार Sculptor of Mamallapuram

मामल्लपुरम शहर जिसे महाबलीपुरम या सप्त पैगोडा भी कहा जाता है, यह शहर चेन्नई से 60 किमी. दूर दक्षिण में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित है।

मामल्लपुरम शहर के मंदिर अपनी नक्काशियों , मूर्तिकला के लिए खासे जाने जाते हैं। यहां पर आप पत्थरों को तराश कर बनाई गई चट्टानों को देख सकते हैं।  खासियत यह है कि ये एक ही पत्थर को काटकर बनाई गई हैं। 

आज अगर तुम मामल्लपुरम जाओ , तो तुम्हें समुद्र किनारे लाईन से झोपड़िया दिखेंगी। तुम पास जाओगे तो चिक चिक की आवाज भी सुनाई देगी। ये छेनी के पत्थर पर पड़ने की आवाज है। ये मूर्तिकार है जो पल्लवों के समय से यहां काम कर रहे हैं। इसलिए मामल्लपुरम में मूर्ति बनाने की सबसे पूरानी परम्परा है। 

ये लोग भगवान की मूर्तियां बनाते हैं जैसे , नृत्यरत काली और शिव के ध्यान की मूर्ति, बांसुरी बजाते कृष्ण की मूर्ति। गणेश की मूर्तियां जिनमें वे नाचने, पढ़ते लडडू खाते दिखेंगे। बच्चें अपने पिता से तराशना सिखते है। पहले आसान डिजाइन तराशते। फिर मूर्ति के कपड़े तराशते। बहुत सालों के अभ्यास के बाद एक दिन वो चेहरा तराशते। तब वो मूर्तिकार बन जाते जो पत्थर पर जादू कर दे।



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